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Friday, June 6, 2025

New Vs Used Automotive: नई कार खरीदें या सेकंड हैंड – क्या है सही फैसला?


New Vs Used Automotive : भारत में कार खरीदना केवल एक ज़रूरत नहीं, बल्कि एक सपना होता है। जब आप अपने लिए पहली कार या एक नई गाड़ी लेने की सोचते हैं, तो आपके सामने एक बड़ा सवाल खड़ा होता है – नई कार खरीदें या सेकंड हैंड (Used) कार?
दोनों विकल्पों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। सही फैसला आपकी ज़रूरत, बजट और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।

1. बजट की भूमिका – जेब क्या कहती है?

अगर हम बात करें नयी कारों (New Automotive) की तो इनकी कीमत अधिक होती है | इसके अलावा में नयी कार के साथ कई अतिरिक्त खर्चे भी आते है जैसेकि – रोड टैक्स, रजिस्ट्रेशन फीस, GST चार्जेज and so forth. | मान के चलें कि अगर हम ऐसी कार खरीदते है जिसका एक्स-शोरूम प्राइस ६ लाख है तो वो onroad आते आते लगभग ७ से ८ लाख तक की हो जाती है |
वहीं पर, Used automobiles सस्ते में मिल जाती हैं। वही मॉडल जो नया ₹7 लाख में आता है, 2-3 साल पुराने रूप में ₹3-4 लाख में मिल सकता है। कम बजट में अच्छी ब्रांडेड कार लेना संभव होता है।
इसलिए अगर आपका बजट सीमित है तो सेकेंडहैंड कार (Second Hand Automotive)आपके लिए बेहतर ऑप्शन हो सकता है |

2. डिप्रिशिएशन – नई कार की कीमत कैसे गिरती है

जैसे ही आप शोरूम से कार बाहर निकालते हैं, उसकी कीमत में 10-15% की गिरावट हो जाती है। पहले 3 साल में कार लगभग 30-40% तक डिप्रिशिएट हो जाती है।
चूंकि पहले ही डिप्रिशिएशन हो चुका है, सेकंड हैंड कार (Used Automotive) में वैल्यू लॉस कम होता है। इसे 2-3 साल इस्तेमाल करने के बाद भी लगभग समान कीमत में बेचना संभव है | जो नयी कार की तुलना में काफी काम हो जाती है |

3.मेंटेनेन्स और भरोसा

जब आप नयी कार (New Automotive) खरीद कर लाते है, तो इस पर कंपनी की वारंटी मिलती है | जो २ से ५ साल तक की हो सकती है | कई कंपनी किलोमीटर के हिसाब से भी वारंटी देती है | जिससे मेंटेनेंस का खर्च कम होता है। इसके अलावा में, कार में सभी पार्ट्स नए होते हैं, इसलिए खराबी की संभावना बहुत कम होती है।
वही पर सेकंडहैंड कार में कार कितनी चली है, किसने चलाई है, इसका रखरखाव कैसा रहा है – ये सभी बातें कार की विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं। सही डीलर या इंस्पेक्शन के बिना जोखिम होता है।
यदि आपको कार के बारे में ज्यादा तकनीकी जानकारी नहीं है, और आप मेंटेनेंस की झंझट नहीं चाहते, तो नई कार बेहतर है।

4.फीचर्स और टेक्नोलॉजी- 

हर साल कंपनियां नई टेक्नोलॉजी और फीचर्स लाती हैं – जैसे ADAS, हिल स्टार्ट असिस्ट, डिजिटल क्लस्टर, वायरलेस एंड्रॉइड ऑटो आदि। नई कार में लेटेस्ट सेफ्टी फीचर्स भी मिलते हैं।
अगर हम बात करें 2-3 साल पुराने मॉडल की, तो इसमें पुराने फीचर्स हो सकते हैं। अगर आपको नई टेक्नोलॉजी की आदत है, तो सेकंड हैंड मॉडल आपको आउटडेटेड लग सकता है।

5. इंश्योरेंस और फाइनेंस

नई कार पर लो-इंटरेस्ट फाइनेंस विकल्प मिलते हैं। साथ ही फुल कवरेज इंश्योरेंस लेना अनिवार्य होता है, जो थोड़ी महंगी होती है।
Used कारों के लिए लोन मिलना थोड़ा मुश्किल और महंगा हो सकता है। इंश्योरेंस प्रीमियम कम होता है, लेकिन कवरेज भी सीमित हो सकता है।

क्या है हमारी सलाह ? 

यदि आप पहली बार कार खरीद रहे हैं और मेंटेनेंस, भरोसे और फीचर्स को महत्व देते हैं, तो नई कार चुनें।

अगर आपका बजट सीमित है, या आप ड्राइविंग सीख रहे हैं, तो अच्छी तरह जांची गई सेकंड हैंड कार भी शानदार विकल्प है।



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