बॉलीवुड में अपनी अदाकारी से एक अलग पहचान बना चुके पंकज त्रिपाठी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। बिहार के एक छोटे से गांव बेलसंड से निकलकर मुंबई की चकाचौंध में अपनी पहचान बनाने वाले पंकज त्रिपाठी का सफर संघर्षों और मेहनत से भरा रहा है। उनकी सादगी, गहराई और उनके हर किरदार में उतर जाने की काबिलियत ने उन्हें लाखों दिलों का प्रिय बना दिया है। आइए जानते हैं उनके जीवन के इस प्रेरणादायक सफर के बारे में।
बचपन और शिक्षा
पंकज त्रिपाठी का जन्म 5 सितंबर 1976 को बिहार के गोपालगंज जिले के बेलसंड गांव में हुआ था। एक किसान परिवार में जन्में पंकज का बचपन साधारण था। उनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन पंकज का झुकाव हमेशा से कला और रंगमंच की ओर रहा। उन्होंने पढ़ाई के दौरान गांव में होने वाले नाटकों में हिस्सा लिया और वहां से उन्हें एक्टिंग का शौक लग गया।
अभिनय की शुरुआत
पंकज त्रिपाठी ने अपने अभिनय की यात्रा पटना से शुरू की, जहाँ उन्होंने थिएटर में हिस्सा लिया और रंगमंच की बारीकियों को समझा। इसके बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने एक्टिंग का औपचारिक प्रशिक्षण लिया। NSD से पढ़ाई पूरी करने के बाद पंकज त्रिपाठी ने मुंबई का रुख किया, जहां उन्होंने संघर्ष के कई साल बिताए।
फिल्मों में शुरुआत
पंकज त्रिपाठी का शुरुआती सफर आसान नहीं था। मुंबई में उन्होंने छोटे-छोटे किरदार निभाए, लेकिन असली पहचान उन्हें गैंग्स ऑफ वासेपुर में सुल्तान क़ुरेशी के किरदार से मिली। इस किरदार ने उन्हें बॉलीवुड में एक नई पहचान दिलाई। इसके बाद, उन्होंने “फुकरे,” “मसान,” और “निल बटे सन्नाटा” जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी का जलवा बिखेरा।
मिर्जापुर और सफलता की बुलंदियाँ
पंकज त्रिपाठी के करियर का सबसे बड़ा मोड़ वेब सीरीज़ मिर्जापुर के “कालीन भैया” के किरदार से आया। कालीन भैया के रूप में उनकी शानदार अदाकारी ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। उनकी संवाद अदायगी, एक्सप्रेशन, और किरदार की गहराई ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद सेक्रेड गेम्स, क्रिमिनल जस्टिस और कई अन्य वेब सीरीज में भी उन्होंने अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया।
सादगी और जमीन से जुड़ा व्यक्तित्व
पंकज त्रिपाठी की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण उनकी सादगी है। चाहे वह इंटरव्यू हो या सोशल मीडिया पर उनकी मौजूदगी, पंकज हमेशा जमीन से जुड़े रहते हैं। उन्होंने कभी स्टारडम को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और अपनी जड़ों से जुड़े रहे। यही कारण है कि दर्शक उनके हर किरदार में एक सच्चाई महसूस करते हैं।
अभिनय में उनके विचार
पंकज त्रिपाठी का मानना है कि अभिनय सिर्फ बाहरी रूप से किरदार को निभाना नहीं है, बल्कि उसकी आत्मा में उतर जाना है। उन्होंने अपने हर किरदार को इस तरह निभाया है कि वह किरदार पर्दे पर जीवंत लगने लगता है।